तथापि जे काही आहे ते अस आहे.
असतो जर मी एक चारोळीकार...
(खालील मजकूर मी माझा, तू तुझा, हा त्याचा, तो याचा अश्या कुठल्याही चतकोर पुस्तकातून घेतलेला नही :) )
वादळ
शांत हो वाऱ्या शांत हो
शांत हो वाऱ्या शांत हो
येणारं मी वादळ आहे
तू वादळापूर्वीची शांतता हो
शांत हो वाऱ्या शांत हो
असतो जर मी एक बंडखोर कवी...
उभारी
चाललीये सर्वत्र निवडणुकीची तयारी
जो तो म्हणतो घ्या राखेतून भरारी
अरे इथे स्वतःला जाळणाऱ्या तेलाचीच उधारी
कस घेइल मन उभारी
असतो जर मी एक शायर...
तनहाई
आप चले गए तो ऐसी तनहाई छाई
आप चले गए तो ऐसी तनहाई छाई
इतने तनहा हो गए की तनहाई का भी साथ ना रहा
याद
इस नाचीझ की याद की आपने तो जमाना याद आ गया
इस नाचीझ की याद की आपने तो जमाना याद आ गया
आपने रुखसत की तो हम ज़माने को भुलाके आ गए
5 comments:
System programming poppa ekdam poet kasa kay zala ?????
Tu poppa ahey yechat wad nahi..
Pan please mala samjun sang kavita, mala unseen poems kadhich kalaya nahi :)
hmmmm.....sarkar kuch badle badle se nazar aate hain....humein barbadi ke aasar nazar aate hain.[:D]
tuj sam nahi koni...
newnaganda yeto tu dista lochani..
ek number chippa!!!
ladhto nehmich ekate,
ek houn dyavi lalkari,
kasle vadal an kasle vare,
jevha akashahun uncha asel bharari...
...apla sevak...teddy
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